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बोनसाई प्रकृति से जुड़ने का डिजाइनर तरीका

चिठ्ठाकारी
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पेड़-पौधे हमारे वातावरण के लिए बेहद उपयोगी होते हैं, इन्हें हमारी सृष्टि का पावर-हाउस कहा जाता है। एक समय लोगों की हॉबीज में बागबानी या पेड़ लगाना आम हुआ करता था लेकिन वक्त के साथ समय की कमी और महानगरों में घटती जमीन ने लोगों के इस शौक को कम कर दिया है। आज भी जिन लोगों के दिलों में इसके प्रति शौक होता है उनमें से कई जगह की कमी के कारण इसे पूरा नहीं कर पाते हैं। लेकिन आज अगर इंसान चाहे तो क्या मुमकिन नहीं है। अगर आपको बड़े पेड़ पसंद है लेकिन आपके पास जमीन कम है तो घबराइए मत आपकी इस समस्या का हल है बोनसाई पौधे।


क्या होते हैं बोनसाई पौधे?

साधारण भाषा में समझा जाए तो बड़े पौधों को एक छोटे आकार में करने की कला को ही बोनसाई समझा जाता है। इस प्रकिया में पौधों को इस हिसाब से काटा-छांटा जाता है कि वह अपनी मूल विकास को प्राप्त ना कर एक छोटे आकार में ही रहते है लेकिन उनके अंदर खूबियां एक भरे पेड़ की तरह ही होती है। एक विकसीत फल देना वाला बोनसाई पेड़ पर आपको फल भी देखने को मिलेंगे और उसकी ऊंचाई महज कुछ सेंटीमीटर होगी। दिल्ली की कई नर्सरी में यह बोनसाई पौधे मिलते हैं।

साउथ दिल्ली में स्थित बोनसाई पौधों से जुड़े आरजे रिसर्च एंड सपोर्ट (RJ Research & Support) के संस्थापक आरजे रावत का मानना है कि आने वाले समय में जब लोगों के पास जगह कम हो जाएगी और पेड़ों का महत्व बढ़ जाएगा तब इन बोनसाई पौधों की अहमियत अनमोल होगी। यह ना सिर्फ लोगों की बागवानी के शौक को नया आयाम देगी बल्कि यह प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में भी छोटा ही सही लेकिन एक अहम योगदान जरूर देगी।

बोनसाई पौधों के फायदे

बोनसाई पौधे ना सिर्फ कम जगह में एक भरे-पूरे पेड़ के होने का अहसास देते हैं बल्कि यह भी अन्य पेड़ों की तरह ऑक्सीजन को छोड़ते हैं और कम ही सही कुछ हद तक वातावरण की मदद करते हैं। बोनसाई पौधे को मेंटेन करना कई लोग मुश्किल का काम समझते हैं लेकिन यह अधिक जटिल प्रकिया नहीं है। अगर आपको कुछ हद तक पेड़-पौधों के रखवाली आती है तो आप आराम से इन पेडों से जुड़ सकते हैं।

बोनसाई पौधे घर की सुंदरता में भी चार चांद लगा देते हैं। सोच कर देखिए आपके घर की मेज पर एक पीपल का बोनसाई पड़ा हो जो एक बड़े पेड़ का छोटा लेकिन सजीव मॉडल लगता हो। आर जे रिसर्च एंड सपोर्ट (RJ Research & Support) की प्रयोगशाला  के साथ दिल्ली की कई बड़ी नर्सरियों में ऐसे कई बोनसाई पौधे हैं जिनमें फल और फूल भी लगते हैं। इन पौधों को देखकर हर कोई अचंभित रह जाता है।

हां, जेब जरूर होती है ढ़ीली

बोनसाई पौधों की हजार खूबियां तो है लेकिन यह भी एक सच है कि इन पौधों की कीमत औसत पौधों से करीब 50 गुना अधिक होती है। एक विकसित बोनसाई पौधा आपको 15 से 40 हजार की रेंज का भी पड़ सकता है। हालांकि कुछ पेड़ों के बोनसाई आपको 10 हजार से नीचे भी मिल सकते हैं।

कहां से खरीदे पौधे

दिल्ली  में कई ऐसी नर्सरी हैं जहां आपको बोनसाई पौधे मिल जाते हैं। हालांकि नर्सरी से इन पौधों को लेने पर इसके साथ कोई सर्विस आदि नहीं मिलती है। अगर ऑनलाइन किसी बोनसाई डिजाइनर से यह पौधे खरीदे जाए तो दाम भी वाजिफ होता है और खरीदने के बाद सर्विस भी मिल जाती है।

देख-रेख है बेहद जरूरी

लेकिन हां बोनसाई केवल एक जुगाड़ है, एक दिल बहलाने का तरीका मात्र है कि आपको बागवानी का शौक है और आपके पास जगह की कमी है तो आपने इसे अपना लिया परंतु यह वनों की कटाई के कारण हो रहे प्रकृति के नुकसान को भरने में नाकाफी है। बोनसाई के सहारे आप प्रकृति के करीब तो रह सकते हैं लेकिन इससे प्रकृति को उतना लाभ नहीं होगा जितना एक खूले वातावरण में पेड़ लगाने का होगा।

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