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ऑनलाइन बाजार में कहां टिकेगी हिन्दी

चिठ्ठाकारी
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हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। भारत में हिन्दी को यूं तो किसी पहचान की जरूरत नहीं है लेकिन दुनिया भर से जुड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाली इंटरनेट की दुनिया में इसे रिजर्वेशन की जरूरत पड़ जाती है। इंटरनेट पर ऐसी कई समस्याएं हैं जिनके कारण हिन्दी अपनी वह जगह बनाने में कहीं ना कहीं पीछे रह गया है। लेकिन भविष्य में हिन्दी उस छात्र की तरह साबित हो सकता जो पूरे साल तो पीछे रहा लेकिन फाइनल एग्जाम में बाजी मार ले जाता है। हिन्दी भाषा इंटरनेट पर बेशक अंग्रेजी के मुकाबले पीछे रह जाए लेकिन अगर कुछ हिस्सों पर लोग ध्यान दें तो आशा है कि आने वाले समय में हिन्दी इंटरनेट जगत पर अपना परचम लहराते हुए दिखाई दे जाए।

तकनीक में पिछड़ती हिन्दी

हिन्दी जिस एक कारण से सबसे ज्यादा पिछड़ी है इसका तकनीकी रूप से सक्षम ना होना। इंटरनेट पर हिन्दी में ना लिख पाना, हिन्दी में अच्छे रिजल्ट ना मिलना, हिन्दी की मात्र औपचारिक जानकारी होनी जैसी कई समस्याएं हैं। आइयें सिलसिलेवार तरीके से इन समस्याओं पर एक नजर डाले:

• हिन्दी लिखने के लिए कीबोर्ड की समस्या बेहद आम और सबसे बड़ी है। अकसर लोगों को हिन्दी में टाइपिंग करने के लिए ऑनलाइन टूल्स जैसे गूगल हिन्दी ट्रांसलिटरेशन, रफ्तार- ई कलम, या किसी अन्य टूल का इस्तेमाल करना पड़ता है। इनमें से अधिकतर टूल ऑफलाइन काम नहीं करते। जो लोग अधिक टेक सेवी होते हैं वह अवश्य इंडीक जैसे टूल इस्तेमाल करते हैं।

• हिन्दुस्तान में एक बड़ी आबादी अंग्रेजी नहीं जानती, वह इंटरनेट पर सर्च करने के लिए अकसर बाइलैंगवल भाषा यानि हिंग्रेजी (HINDI+ENGLISH Like Rude ka matlab kya hota hai) का प्रयोग करती है। लेकिन इंटरनेट मार्केट में बढिया रिजल्ट पाने के लिए आपको अंग्रेजी में टाइप करने की आवश्यकता होती है।

• हिन्दी में बढ़िया वेबसाइट ना होना भी हिन्दी की कमजोरी का एक अहम कारण माना जाता है।


हाल के सालों में मिला है बेहतरीन रिस्पॉंस


हाल के सालों में यह देखने में आया है कि हिन्दी को युवाओं ने इंटरनेट पर बेहद पसंद किया है। कुछ ही दिन पहले एक बड़ी कोला कंपनी ने जिक्र किया था कि उनके हिन्दी फेसबुक स्टेट्स को अंग्रेजी के मुकाबले अधिक रिस्पॉंस मिले हैं। कई बड़ी हिन्दी वेबसाइट्स जैसे हिन्दी वेबदुनिया, रफ्तार.इन, जागरण आदि ने भी हिन्दी को लोगों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। हिन्दी में यूं तो कई वेबसाइट्स हैं लेकिन जिन तीन चार वेबसाइट्स ने हिन्दी को लोगों तक पहुंचाने में मदद की है मेरे ख्याल से वह निम्न हैं:

• रफ्तार. इन (raftaar.in): ई-कलम, हिन्दी वेब सर्च, हिन्दी एंड्रायड ऐप सहित कई फीचर के साथ रफ्तार वेबसाइट ने काफी प्रयास किया है कि लोग हिन्दी से जुड़े।

• वेबदुनिया: एक वेब पोर्टल के तौर पर वेबदुनिया के पास हिन्दी साम्रगी का खजाना है।

• जागरण जंक्शन: हिन्दी में अपने विचारों को प्रकट करने और उसे अन्य लोगों तक पहुंचाने का ब्लॉगिंग से बेहतरीन ऑप्शन नहीं हो सकता हैं। जागरण जंक्शन मंच ने अपने पाठकों को यही मंच प्रदान कराया है।


हिन्दी की उम्मीदें


एक सर्वे के अनुसार आज इंटरनेट को इस्तेमाल करने वाला बड़ा हिस्सा मोबाइल का इस्तेमाल करता है। आज गांव-गांव में स्मार्टफोन अपनी जगह बना चुका है। ऐसे में जब गांव की जनता या टाइर 3 का टारगेट ग्रुप इंटरनेट पर अपनी सर्च करेगा तो वह स्थानीय या हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करेगा। हिन्दी कंटेट वेबसाइट इस तथ्य को शायद समझ चुकी हैं लेकिन अभी भी इसपर काम नहीं कर रही है। शायद इसके पीछे वजह मार्केट रिस्क लगती है। लेकिन यह तो सच है कि आने वाला समय स्थानीय भाषाओं द्वारा सर्च का होगा। और उस दौर में जिस वेबसाइट के पास ऐसा कंटेट होगा वही आगे आएगा।

<br/> हिन्दी को आगे ले जाने में जो चीजें आने वाले समय में और भी कारगर सिद्ध होंगी उनमें सबसे अहम हो सकता है गूगल का हिन्दी सर्च को स्पोर्ट करना और मोबाइल फोन पर हिन्दी कीबोर्ड का आना। गूगल ट्रांसलिट्रेशन (Google transliteration) एक ऐसी सर्विस है जो लोगों को अंग्रेजी कीबोर्ड द्वारा हिन्दी टाइपिंग का प्रयोग करने की आजादी देती है। अगर गूगल मोबाइल प्रोवाइडर्स के साथ मिलकर अधिक से अधिक फोनों में यह सुविधा देती है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि आने वाले समय में डिजीटल वर्ल्ड में हिन्दी का वर्चस्व बढ़ेगा

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