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RAIL BUDGET 2012 -2013
इस देश में दुनिया के सबसे विचित्र जीव देखने को मिलते हैं. इस देश की सरकार ने इतिहास के सभी पूराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. चापलुसी और डर के आगे यूपीए सरकार किस कद्र बेदम यह रेल मंत्री के इस्तीफे के बाद ही पता चल गया. रेल मंत्री दिनेश त्रेवेदी को तो इस बात का आभास भी नहीं होगा कि पहली बार रेल बजट पेश करने के बाद सिर्फ 12 घंटे मॆं ही उनसे इस कद्र रेल मंत्रालय छिन लिया जाएगा.
बड़े बेआबरू होकर तेरी गली से निकले
कहते हैं जो राजा बनाता है उसमें गिराने का भी दम होता है. यह बात तृणमुल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी अच्छी तरह जानते हैं जिन्हें कभी “दीदी” ने अपनी जगह रेल मंत्रालय सोचा था. दीदी ने सोचा था पट्टा तो अपना है जाएगा कहां. लेकिन पट्टे के दिमाग पर देश सेवा और रेलसेवा का भूत सवार हो गया मसलन जनाब ने महज पांच रूपए की बढ़ोतरी का प्रस्ताव क्या सदन में र खा दीदी ने उनसे पांच साल तक चलने वाली रेलमंत्री की कुर्सी छिनवा ली.
शोले इन 2012
दीदी यानि ममता बनर्जी के दिमाग में इस समय शोले फिल्म का यह डायलॉग घूम रहा होगा: “क्या सोचा था तुमने त्रिवेदी मैडम बड़ी खुश होगी, इनाम देगी तुम्हें किराए बढ़ा दिया और वह भी पांच रूपए…”
दिनेश त्रिवेदी : मैडम हमने आपकी कुर्सी संभाली है?
दीदी: अच्छा तो चल कुर्सी से हट.
समझौता एक्सप्रेस
खैर यह दृश्य तो सिर्फ रेल मंत्रालय का था अगर आप पिछले कुछ सालों पर नजर डालें तो आपको यूपीए सरकार “समझौता एक्सप्रेस” की तरह लगेगी जिसमें कुछ नहीं सिर्फ समझौते ही होते है. एक इंसान जो देश की रेलगाड़ी को सोने की चिड़िया बनाने का ख्वाब देखता है उसे हटा दिया जाता है सिर्फ समझौते के नाम पर. समझौते के लिए अभी तक कसाब के घिनौने इंसान को “दामाद” बनाकर कवाब खिलाया जाता है. यह समझौता है जो कलमाड़ी, ए राजा जैसे लोग देश को “चुना” लगा गए हैं. देश के सरताज कश्मीर को कई लोग आज देश का हिस्सा ही नहीं मानते. कश्मीर पर उमर अब्दुला जैसे लोग कुंडली मारकर बैठे हैं.
यह है इस देश की हालत जहां कुर्सी के लिए यूपीए अपनी ऐसी की तैसी करवाने के लिए भी तैयार हैं.
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