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आजकल बच्चों की छुट्टी चल रही है और छुट्टी का यह सीजन देख मुझे भी अपने बचपन की याद आ गई. कभी छुट्टी के दिनों में हम इतनी मस्ती करते थे कि आसपड़ोस वाले कहते थे कि यार इनकी छुट्टियां कब खत्म होंगी. बचपन की यादें इतनी आसानी से हमारा पीछा छोड़ने वाली नहीं और वह भी तब जब जीवन में वह समय चाहकर भी हम वापस ना ला पा रहे हो.
बचपन को तो वापस लाना मुश्किल है लेकिन बचपन की यादों को जरुर कुछ देर तक अपने जहन में दौडा सकते हैं.
आज बचपन की ही कुछ कविताओं को आपके साथ सांझा कर रहा हूं उम्मीद है आपको पसंद आएगी और हां अगर आपको भी कुछ मिलें तो जरुर बताएं.
मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है,
हाथ लगाओ डर जाएगी,
बाहर निकालो मर जाएगी… 😆 😆 😆 😆
पोशम पा भई पोशम पा,
सौ रुपए की घड़ी चुराई,
अब तो जेल में जाना पड़ेगा,
जेल की रोटी खानी पड़ेगी,
जेल का पानी पीना पड़ेगा, 😆 😆 😆 😆
झुठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है,
काली माता आएगी,
तुमको लेकर जाएगी. 😆 😆 😆 😆
आज सोमवार है,
चुहे को बुखार है,
चुहा गया डॉक्टर के पास,
डॉक्टर ने लगाई सुई,
चुहा बोला उईईईईई…:lol: 😆 😆 😆
चंदा मामा दूर के,
पुआ पकाए भूर के,
आप खाए थाली में,
मुन्ना को दे प्याली में… 😆 :lol::lol::lol:
अकड बकड़ बम्बे बोल,
80-90 पूरे 100,
100 में लगा धागा,
चोर निकल कर भागा. 😆 :lol::lol::lol:
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