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बीते कई दिनों से अखबार और न्यूज चैनलों में एक खबर की तरफ बार बार ध्यान जाता है, पर चाह कर भी उसपर कुछ लिखने का जैसे वक्त नहीं मिल रहा था पर आज सोच कर आया था कि चाहे जो भी हो एक ब्लॉग तो नेट की भेंट चढ़ा ही दूंगा.
बीते कई दिनों से बच्चों और लड़कियों के लापता होने की खबरें आम हो गई हैं. दिल्ली, नोएडा, हरियाणा, उ.प्र, गाजियाबाद जैसे इलाकों से तो मानों हर रोज कोई ना गायब हो रहा है उअर इन सबके वजह क्या है यह अभी तक पता नहीं चल पाया है क्यूंकि न तो किसी फिरौती की मांग होती है ना कोई आपसी रंजीश.
तो इसे क्या माने, कहीं निठारी जैसा कांड देश के किसी अन्य हिस्सें में पनपने को तो नहीं है.
इन दिनों स्कुलों की छुट्टी पड़ी है और छोटे छोटे बच्चों के लिए यह समय मस्ती और खूब सारी मौज-मस्ती का है. दिनभर बाहर घूमना, खेलना, पार्क में झुले झुलना, बचपन के सारे शौक पूरे करने का इससे बेहतर कोई समय नहीं होता लेकिन संगीनों के साए में जैसे यह मस्ती टाइम इन बच्चों को घर में छुपकर बिताना पड़ रहा है. मम्मीयों को डर है कि कहीं कोई उनके जिगर के टुकड़ों को उठा ना ले जाएं इसलिए वह भी बच्चों को घर में रखने के सारे काम करने को तैयार है, घर में ही इंटरनेट लगा दिया ताकि बच्चा गेम खेल सके, घर में सारे खेल खेलो. पर क्या घर में ही रह बच्चों का संपूर्ण विकास हो सकता है.
और इन सब से जैसे बेखबर हमारी प्रशासन चैन की नींद सो रही है. उसे तो लगता है कि उनके बच्चें तो सुरक्षित है और खुदा ना खास्ता अगर कुछ हो भी गया तो उसे बचाने के तरीके भी है. और ऐसा नहीं है कि यह तरीके सिर्फ वह अपने बच्चों को बचाने के लिए ही इस्तेमाल कर सकते है बल्कि अगर उनका जमीर सच्चा हो तो हर केस को सुलझा पाना प्रशासन और पुलिस के लिए कोई बड़ी बात नहीं है पर जब तक काम करने का मन नहीं हो तब तक कोई क्या कर सकता है. अगर पुलिस चाहे तो इन केसों को आराम से सुलझा सकती है लेकिन वह ऐसा करना नहीं चाहते. लगता है उनका जमीर मर चुका है उन्हें दूसरों के बच्चों में अपने अब्च्चें नहीं दिखते.
आज शहरों और गांवो से गायब हो रहे अधिकतर बच्चें या तो गलत लोगों के हाथों का शिकार हो जाते है या फिर मौत की आगोश में शमा जाते है और कुछ ही खुशनसीब बच पाते हैं. अक्सर किडनैप हुई लड़कियों के जिस्म का सौदा कर दिया जाता है और लड़कों के शरीर के अंगों को निकालकर उन्हें अपंग बना भीख मांगने के काम में लगा दिया जाता है जहां से देश के यह भविष्य देश को ही बर्बाद करने पर तुल जाते है.
यह ब्लॉग आवेश में आकर जरुर लिखा गया है जिसमें प्रशासन और पुलिस के बारें में मैंने विरोधाभास जताया है. पर मेरा मानना है कि पुलिस बहुत कुछ कर सकती है लेकिन बस वह करना नहीं चाहती. देश का भविष्य ना जानें कहां लापता हो रहा है और कुछ लोग अपना जमीर बेचकर सो रहे हैं.
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