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अंधविश्वास से घिरा भारत – Jagran Junction Forum

चिठ्ठाकारी
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बीते दिनों भारत में एक आध्यात्म गुरु श्री सत्य साईं की मौत हो गई. चारों तरफ हो हल्ला हो गया. श्री सत्य साईं जिनका पूरा जीवन सिक्के के दो पहलू की तरह रहा है, जिनकी लोकप्रियता भारत ही नहीं विदेशों में भी है. बाबा के भक्तों में वीवीआईपी लोगों का तांता हमेशा लगा रहता है. हजारों करोड़ों की सपंत्ति के मालिक श्री सत्य साईं बाबा की मौत पर पूरे देश में शोक की लहर थी और मीडिया चैनल वालों का तो जैसे माई बाप ही उठ गया हो.


indiaश्री सत्य साईं बाबा जिन्होंने अपने आप को भगवान का रुप बताया था और पुटपर्थी में जिनको शायद भगवान से भी ऊंचा माना जाता है उनकी मृत्यु एक आम इंसान की तरह हुई. सत्य साईं बाबा के पुण्य कामों की अगर बात करें तो आप देखेंगे कि उन्होंने देश विदेश में कई स्कुल और अस्पताक खोलें है जहां कई हजार जिंदगियों को रोशन किया जाता है. सत्य साईं बाबा ने पुटपर्थी को नई पहचान दिलाई. श्री सत्य साईं बाबा ने मानवता के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया है और साथ ही उनका यह कहना कि आप चाहे किसी भी धर्म के हो आपको धर्म बदलने की जरुरत नहीं है बस मन से मुझे भगवान मानों, मैं आपके साथ रहुंगा. यह कथन इस बात को दर्शाता है कि सत्य साईं बाबा धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते थे.


पर मैं कभी भी सत्य साईं बाबा का भक्त नहीं रहा. श्री सत्य साईं बाबा ने खुद को भगवान का रुप बताया था और जो इंसान खुद को भगवान बताए वह भगवान का आदर नहीं करता. हां सत्य साईं बाबा आध्यात्म गुरु जरुर थे जिन्होंने धर्म के कार्य किए लेकिन उन्हें भगवान मानना गलत है. बाबा के द्वार किए गए चमत्कारों को जितने भी जादुगरों ने चुनौती दी बाबा सबसे हार गए. क्या यह नहीं दिखाता कि बाबा भगवान नहीं बल्कि इंसान थे. इसके साथ ही सत्य साईं पर बार बार यौनाचार का भी आरोप लगता रहा है. कई विदेशी छात्रों ने उनपर आरोप लगाएं हैं कि सत्य साईं ने उनकी जिंदगे बर्बाद कर दी. क्या उन लोगों का कहना गलत है या हम सत्य साईं की भक्ति में इतना खो गए हैं कि हमें और कुछ नजर ही नहीं आता.


सत्य साईं के आश्रम पर भी कई बार अनैतिक काम होने की सुचना आई पर सरकार ने उनकी लोकप्रियता और भक्तों की संख्या देखते हुए कोई कार्यवाही करने से परहेज किया. सत्य साईं को आंध्र प्रदेश ने पुटपर्थी दे दिया था जहां के वह राजा बन बैठे. पर सत्य साईं ट्रस्ट के नाम पर सत्य साईं ने जितना भी धन इकठ्ठा किया उसके बारें मे कभी किसी ने कोई खबर नहीं ली.


मैं यह नहीं कहता कि सत्य साईं बाबा एक गलत इंसान थे बल्कि मैं तो यह कहता हूं कि वह भगवान नहीं एक धार्मिक गुरु मात्र थे. उनके नामपर लोगों को गुमराह करना गलत है. कल को अगर आसाराम और कोई अन्य पाखंडी खुद को भगवान बताएगा तो क्या हम उसे भी भगवान मान लेंगे ? दरअसल बात यह थी कि सत्य साईं का प्रभाव क्षेत्र दक्षिण भारत की तरफ ज्यादा था जहां भगवान में लोगों की आस्था बहुत ज्यादा होती है. दक्षिण भारत में लोग ईश्वर के बहुत करीब होते है इसलिए सत्य साईं को खुद को स्थापित करने में ज्यादा समय नहीं लगा पर वहीं अगर वह उत्तर भारत से संबंध रखते तो अवश्य ही उनका प्रभाव  कम होता.


देश आज बहुत आगे बढ़ रहा है लेकिन समय समय पर बाबाओं और ढ़ोंगियों द्वारा ठगने की खबरें हमारी छवि खराब करते हैं.


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