Menu
blogid : 38 postid : 363

यहां तो हर पल मौत ही है

चिठ्ठाकारी
चिठ्ठाकारी
  • 80 Posts
  • 397 Comments


वैसे तो हर कोई यहां जिंदा है लेकिन जिंदा होते हुए भी हममें से बहुत कम जिंदा हैं. भगवान ने इंसान को जिंदगी तो दी है लेकिन उसे जीने के लिए इतनी शर्ते रख दी हैं कि यह जिंदगी उसे मौत से भी बदतर लगने लगती है. बचपन से लेकर बुढ़ापे तक वह दुनियां के इस मायाजाल में फंसा रहता है और सोचता ही रहता है कि कब खुशियां मिलेंगी. हम में से बहुत से लोग सोचते हैं कि जो अमीर होते हैं वह खुश होते हैं, उनकी जिंदगी कठिन नहीं होती लेकिन दोस्तों अमीर हो या गरीब इस मायाजाल के जाल में हम सब फंसकर रह गए हैं.

face_cinzaबचपन में ही मां-बाप दिमाग में यह बात घुसा कर डाल देते हैं कि बेटा जिंदगी में आगे जाना है और मेहनत करना है. सुबह स्कूल के लिए निकल आओ और फिर ट्यूशन भागो बचपन तो मानों इसी तरह बीतता है. जो दो पल खुशियों के मिलते भी हैं तो उस पर असुरक्षा का साया रहता था और है. आगे जीवन में तो और भी कठिनाइयां होती हैं. बचपन के बाद जवानी पूरी तरह असुरक्षा के साये में रहती है. अच्छी पढ़ाई, अच्छी जॉब, अच्छा मकान इन्हीं सब में कईयों का तो सारा समय ही निकल जाता है.

पर क्या जिंदगी इसे ही कहते हैं? जिंदगी का मतलब यह भी नहीं होता कि सारा समय मजे करते रहो और कोई काम करो ही न और न ही इसका मतलब यह होता है कि अपनी आकांक्षाओं को दबा दो. मजे करो पर काम को भी समान महत्व दो ताकि जिंदगी आपसे दूर न भागे.

कई बार हम अपने दूसरें दोस्तों को देखते हैं और सोचते हैं यार यह तो मजे कर रहे हैं और एक हम हैं कि काम में ही लगे हुए हैं. उस समय दिल में दर्द भी होता है कि आखिर हमारी जिंदगी है किस काम की लेकिन दोस्तों जिंदगी इसी का नाम है. जिस किसी की किस्मत में जितना लिखा होता है उसे उतना ही मिलता है. न चाहते हुए भी हम अपने भाग्य से ज्यादा अधिक नहीं पा पाते. कई बार मेहनत सफलता के रुप में ढ़ल नहीं पाती. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम मेहनत करना ही छोड़ दें. मेहनत का फल जरुर मिलता है. अभी नहीं तो कभी तो इसका रिजल्ट हमारे सामने आता ही है.

अपनी जिंदगी को कुछ इस तरह जीओ कि खुद को भी संतुष्टि हो और देखने वाला भी न जले हालांकि ऐसा होना मुमकिन तो नहीं पर कोशिश हर नामुमकिन को मुमकिन कर देती है. आज जिंदगी पैसे के सहारे चलती है बिना पैसे तो भगवान भी किसी की नहीं सुनता और पैसा तभी आएगा जब हम मेहनत करेंगे वह बेशक उलटे-सीधे कामों में ही क्यों न करें.
लेख आपको बहुत उलझा हुआ और इधर उधर भागता हुआ लगेगा क्योंकि इसे लिखने से पहले मैंने सोचा नहीं था कि मैं क्या लिख रहा हूं बस जो शब्द दिमाग में घूमे लिख दिया.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh