चिठ्ठाकारी
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😥 याद आते है वो स्कूल के दिन , ना जाते थे स्कुल दोस्तों के बिन,
कैसी थी वो दोस्ती कैसा था वो प्यार,
एक दिन की जुदाई से डरता थे जब आता था शनिवार,
चलते चलते पत्थरों पर मारते थे ठोकर,
कभी हंसकर चलते थे तो कभी चलते थे रोकर ,
कंधे पर बैग लिए हाथों में बोतल पानी,
किसे पता था बचपन की दोस्ती को बिछुडा देगी जवानी,
याद आते है वो रंगो से भरे हाथ , क्या दिन थे जब वो करते थे लंच साथ,
छुट्टी की घंटी सुनते ही बाहर आना भाग कर ,
फिर हसंते हंस्ते दोस्तों से मिल जाना,
😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆
काश!!!!!!!! वो दोस्त आज मिल जाते दिल में बचपन के फूल फिर से खिल जाते
काश वो दिन लौट आते.
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