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क्या दिल में इतनी जगह भी नही ? (अंकल आपको भी पकड़ कर ले जाएंगे)

चिठ्ठाकारी
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कल शाम घर जा रहा था तो एक अजीब सी बात महसूस की. पूरी गली शांत थी, शाम को सिर्फ बच्चों की आवाज और हद तो तब हो गई जब रात में भी मन को ऐसा लग रहा था कि कोई आवाज है जो गायब है. सुबह दौड़ने के लिए जा रहा था तो फिर ख्याल आया कि यार आखिर कौन सी आवाज गुम हो गई है? दरवाजे पर बैठ कर अभी माथा-पच्ची कर ही रहा था कि सामने वाले घर से अनिल आया जो महज आठ साल का है और कहने लगा भइया यूं घर के बाहर मत घूमो वरना अंकल आपको भी पकड़ कर ले जाएंगे. मैने पूछा अच्छा मुझे भी बताओ कि अंकल किसे लेकर गए और मुझे क्यों लेकर जाएंगे? अनिल बोला कि कल कुछ अंकल आए थे और जैकी(मोहल्ले का अवारा कुत्ता)  और उसके बच्चों को पकड़कर ले गए, मम्मी कहती हैं जो बाहर अकेले घूमते हैं उन्हें अंकल ऐसे ही पकड़कर ले जाते हैं.

India Stray Dog Soupदिमाग को मानो कोई जवाब मिला गया हो. आखिर यही तो वह आवाज थी जिसे मैं ढूंढ़ रहा था. घर जाते समय गली के कुत्ते हमेशा दिखते थे और कोई न कोई अपने बच्चों को उनके पास लेकर खडा रहता था. आखिर बच्चों को जानवरों से प्रेम जो होता है लेकिन कल शाम को यह कुत्ते गली में नहीं थे और रात को शांति का कारण भी यही थे.

बाद में पता चला कि एमसीडी की गाड़ी आई थी और बहुत से कुत्ते और गायों को पकड़कर ले गई. वजह थी कॉमनवेल्थ गेम्स. महज 45 दिनों से भी कम के खेल आयोजन के लिए उन्होंने बच्चों से उनका प्यारा डॉगी छीन लिया. गली में ज्यादातर लोग दिन में थे नहीं और महिलाएं उन्हें रोक न सकीं.आखिर किस बात का ध्यान रख कर सरकार ने यह कदम उठाया, बेशक लोगों को इनसे परेशानी थी लेकिन जिस बड़े स्तर पर उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया उससे दिल को ठेस पहुंची.

गाय हमारी माता...... अरे क्या यही बर्ताव मां के साथ भी करते है ?
गाय हमारी माता...... अरे क्या यही बर्ताव मां के साथ भी करते है ?
सरकार की मंशा

शीला सरकार चाहती है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर दिल्ली बिलकुल साफ दिखनी चाहिए. और इसके लिए ही सरकार ने आवारा जानवरों को सडकों और गलियों से हटाने का तुगलकी फरमान जारी किया है. सरकार नहीं चाहती कि उसकी मेहनत पर आवारा पशु पानी फेर दें. वैसे कल तक यह नींद में थे. जब चौराहे पर गाएं घूमती थीं तब कोई सुनने वाला नहीं था लेकिन आज सब जाग गए क्यों?. क्योंकि विदेशी आएंगे तो पैसा देंगे. सही बात है भई, इस कॉमनवेल्थ से हमें बडे फायदे होंगे. लेकिन…….

इसी की आड़ में कुछ लोग आवारा पशुओं को पकड़कर दूसरे राज्यों में बेच रहे हैं और काम आजकल जोर शोर से हो रहा है.

perrosdemaria3आम जनता के आंसुओं की हद

पहले तो सरकार ने कॉमनवेल्थ की वजह से आम जनता के लिए कदम-कदम पर मैट्रो-ट्रेन और फ्लाईओवर बना दिए और अब सरकार चाहती है कि आम जनता इन पशुओं को भी देखने चिडियाघर ही जाए.

चाहे कोई कुछ भी कहे एक बात हम झुठला नहीं सकते कि यह आवारा जानवर हमारी जिंदगी का एक हिस्सा हैं और हम इनसे काफी जुड़े होते हैं. गाएं जहां हर मुहल्ले का कुड़ा-कचरा साफ करती हैं, वहीं कुत्ते रात के समय अपना काम बखूबी निभाते हैं. लेकिन इससे सरकार को क्या, उसे तो मतलब है अपनी मेहमानवाजी से. फिर चाहे जनता जाए भाड़ में.

3406450749_6954ab7d34अब क्या करेंगे बच्चे

बच्चोंका सुबह का सबसे बडा पार्टटाइम काम होता है गाय या चिडिया को दाने खिलाना. अब सरकार की गलतियों और हमारी लापरवाही ने चिडिया तो बच्चों से छीन ही ली, रही-सही कसर गायों के जाने से पूरी हो जाएगी. बच्चों को कुत्तों से भी बड़ा प्यार होता है, डॉगी को देख कर हंसते बच्चे, सुबह और शाम को मम्मी का गाय के लिए रोटी निकालना…. शायद ये भी अब गौरेयां की तरह गुम हो जाएं.

सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे बच्चे आखिर इन जानवरों से यह बच्चे सीधे तौर से जुड़े होते हैं. बडों का बच्चों के साथ सुबह- सवेरे सैर पर जाना, घर पर जब गाय आती थी तो मां जल्दी से बुलाती थी कि देख गाय आई है रोटी खिला दे. इन सब छोटी-छोटी बातों से बच्चे काफी ज्ञान वाली बातें सीखते हैं जैसे बडों का आदर करना, जानवरों से स्नेहपूर्वक पेश आना, सबसे नम्रता से बात करना आदि.

PICT0744edक्या यह सही है

आए दिन जानवरों की वजह से फैलती बीमारियों को देख कर तो लगता है यह सही है. आए दिन कुत्तों के काटने से रोगियों की कतार, रास्ते पर जाम लगाती गाय इन सब से यह सही लगता है.

क्या दिल्ली के दिल में इतनी जगह भी नही बची ?

क्या एक शीला जी आम जनता को भी दिल्ली से बाहर कर देगी और दलील देंगी कि गरीबों की वजह से मेरी दिल्ली बदसूरत हो रही है?

एक रास्ता यह भी तो था

आवाराजानवरों को दिल्ली से बाहर भेजने की बजाए अगर शीला सरकार कुत्तों और गायों के बारे में कोई और उपाय करती तो बेहतर होता जैसे उनकी संख्या पर लगाम लगाना, रैबीज के टीके सभी कुत्तों को लगाना, गाय मालिकों पर भारी जुर्माना लगाना आदि.

तो आइए इस आवाज को बुलंद करें कि यह आवारा जानवर भी हमारे समाज का एक हिस्सा हैं और इनकी अनुपस्थिति हमें गवारा नहीं.

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