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संविधान – तोडने योग्य नियमों की किताब या…..

चिठ्ठाकारी
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गणतंत्र दिवस को बीते कई दिन हो गए, मगर परसों शाम को घर के पास कुछ बुजुर्ग आपस में बातें कर रहे थे जिसको समझ पाना थोडा मुश्किल था परंतु अगर हल्के अंदाज में यह थोडा समझ आ सकता है, यहां मैं वही कोशिश करना चाह रहा हूं बात करते है भारत के संविधान से जूडी कुछ मिथक तथ्यों के बारे में।

भारतीय संविधान के अनुसार तो भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र हैं , मगर इस देश का इतिहास न जाने कितनी ही ऐसी नरसंहारों का गवाह है, जिसमें धर्म के नाम पर खुन बहे है, सिक्खों का नरसंहार हो या गुजरात दंगे , इतना आगे जाने की जरुरत नही ………अरे भाई आजादी के समय भी धर्म के नाम पर ही कत्लेआम मचा था.

और आज धर्म के नाम पर राज्यों का बंटवारा हो रहा हैं . बिहार में बिहारी रहेंगे , मुंबई में मराठी समुदाय के आलावा और कोई नही रह सकता फलाना फलाना……

खेर दूसरा बिन्दु भी गौर करने योग्य है कि ” भारत में सभी को समान अधिकार प्राप्त होंगे” जी हां मगर सिर्फ कागजों पर क्योंकि हकीकत तो हमेशा उलट ही होती है यहां… मंत्रिगणों को जहां विशेष सुरक्षा प्राप्त है वही आम आदमी अपने घर में भी सुरक्षित नही है. जनाब यहां तो सब गोलमाल है बडॆ साहब और छोटे साहब के बीच की दूरी नापने से भी न नपे .

संविधान यह भी कहता है कि ” भारत में कोई भी रोजगार अथवा शिक्षा के लिए किसी भी राज्य में जा सकते है” आजादी के कुछ साल तक तो इसका पालन होता रहा मगर वक्त के साथ इस बिन्दु पर भी धूल जमती गई. आज बाला ठाकरे और राज ठाकरे जैसे देशभक्त (या यों कहे राज्य भक्त एवं कुर्सी भक्त ) लोग अपने राज्यों में दूसरी राज्य के लोगों का आना बिलकुल पसंद नही करते . शायद नेता बनते समय जो संविधान की किताब इन्होंने पढ़ी थी उसमें मिसप्रींटिंग हो जहां लिखा हो “भारत में कोई भी रोजगार अथवा शिक्षा के लिए किसी भी राज्य में नही जा सकते है.”

खेर एक बात तो साफ हैं कि संविधान अब मात्र एक किताब बन चुकी हैं जिसके नियम मात्र तोडने के लिए बने है. जो जितने नियम तोडे उसके उतने प्वॉइंट और गणतंत्र दिवस समारोह एक मैजिक शो जो न जाने कितने चमत्कारी करतब दिखाते है और सच को एक अदभुत जामा पहना ऐसे पेश करते है कि उसकी शक्ल ही बदल जाते हैं.

खेर अब सोचने वाली बात है कि क्या सच में अब संविधान का कोई मतलब नही रह गया , संविधान की कहानी बयां करने वाली गणतंत्र दिवस समारोह एक मैजिक शो बन कर रह गई है? क्या आगे भी हमारा देश गणंतत्र बना रहेगा या फिर ………………………………………..

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